गायक-संगीतकार भूपिंदर सिंह का सोमवार शाम को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उनकी मूडी और उदास आवाज ने 1970 और 1980 के दशक की हिंदी फिल्मों में कुछ बेहतरीन ग़ज़लों और नज़्मों को गहराई और आत्मा दी। उनकी पत्नी और साथी गजल गायिका मिताली मुखर्जी ने बताया, “वह पेट के कैंसर से पीड़ित थे और एक हफ्ते पहले ही उन्हें कोविड-19 का पता चला था।”
अमृतसर में जन्मे गायक की गहरी और विशिष्ट प्रस्तुतियाँ गुलज़ार की संवेदनशील कविता के लिए एकदम उपयुक्त थीं। ‘दिल ढूंढता है फिर वही’, ‘एक अकेला इस शहर में’, उनके दो खास ट्रैक है। उनके सबसे प्रसिद्ध गीत मदन मोहन, जयदेव, खय्याम और आरडी बर्मन द्वारा रचित थे।
गजल गायक अनूप जलोटा ने एक संदेश में कहा, “वह एक मूल, धुंधली आवाज वाले गायक थे। वह आरडी बर्मन और गुलजार के पसंदीदा गायक थे।” भूपिंदर ने गैर-फिल्मी गज़लों, भजनों और गीतों की भी रचना की। मध्यकालीन कवि कबीर की ‘मोको कहां ढूंडे रे बंदे’ और ‘आहत सी कोई आए’ उनकी दो बेहतरीन रचनाएं हैं।
भूपिंदर एक प्रतिष्ठित गिटारवादक भी थे और आरडी बर्मन के पहनावे का हिस्सा थे। उन्होंने ‘दम मारो दम’ और ‘चुरा लिया है’ में वाद्य यंत्र बजाए। वह गाने के लिए हल्के ट्रैक करते है, जिससे उसकी सीमा का विस्तार होता है। उदाहरण के लिए, सत्ते पे सत्ता में, भूपिंदर ने दो अस्वाभाविक समूह मजेदार गीत गाए: शीर्षक ट्रैक और फील-गुड ‘जिंदगी मिल के बिटेंगे’।
मासूम में सुरेश वाडकर के साथ उनकी चुटीली जोड़ी, ‘हुज़ूर इस तरह भी’ ने भी उनके गायन के एक नए पक्ष पर प्रकाश डाला। संगीतकार-गायक दिल्ली में पले-बढ़े। मदन मोहन उन्हें बॉम्बे ले गए। भूपिंदर ने हिंदी फिल्म गायन में क्लास और क्लासिकल का स्पर्श लाया और धीरे-धीरे दर्द और गुस्से को दर्शाने वाले बैकग्राउंड गानों के लिए एकदम फिट हो गए।
उनके कई नंबर चार्ट पर नहीं चढ़े, लेकिन वे हमेशा प्यारे और टूटे दिल के लिए ईमानदार साथी की तरह महसूस करते थे। उनके गीत-‘करोगे याद तो हर बात याद आएगी’, ‘कभी किसी से मुक़म्मल जहान नहीं मिल्टा’, ‘अहल-ए-दिल यूं ही’, ‘जिंदगी फूलों की नहीं, ‘जाने ये मुझे क्या हो रहा है’। उन्होंने ‘चांद बनू मैं और रात बनो तुम’, ‘किसी नज़र को तेरा’ और ‘आवाज़ दी है आज इक नज़र ने’ जैसे कुछ उत्कृष्ट युगल गीत भी गाए।
उन्होंने पत्नी मिताली मुखर्जी के साथ एक गजल गायक के रूप में काम किया। दोनों ने जगजीत-चित्रा सिंह, राजेंद्र और नीना मेहता, राजकुमार और इंद्राणी रिजवी जैसी लोकप्रिय पति-पत्नी गायन टीम बनाई। भाग्य के हस्तक्षेप करने तक यह एक लंबी और खुशहाल संगति थी।